विनियमितीकरण की राह पर ऐडेड महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित शिक्षक

शासन ने फिर मांगी एडेड डिग्री कालेजों के स्ववित्तपोषित शिक्षकों के विनियमितिकरण हेतु सूचना
शिक्षक संघ ने किया अपील: महाविद्यालय स्तर से न हो भ्रामक व त्रुटिपूर्ण सूचना का प्रेषण
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा विधान परिषद की विनियमन समीक्षा समिति के निर्देश पर संयुक्त सचिव उत्तर प्रदेश शासन प्रेम कुमार पाण्डेय के पत्र दिनांक 06.12.2023 के आधार पर संयुक्त शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा कृते निदेशक उच्च शिक्षा प्रयागराज के द्वारा डिग्री अर्थ-1(विनियमितिकरण) के तहत दिनांक 14.12.2023 के पत्र के आधार पर समस्त क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियो से उत्तर प्रदेश के 331 अनुदानित अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में संचालित स्ववित्तपोषित योजना में कार्यरत स्ववित्तपोषित शिक्षकों की 06 बिन्दुओं के आधार पर एक सप्ताह में सूचना मांगी गयी है।
जिसके आधार समस्त क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों द्वारा अनुदानित अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों से सूचना हेतु पत्र प्रेषित कर उक्त 06 बिन्दुओं के अनुरूप सूचना उपलब्ध कराने को कहा गया है।
निदेशक उच्च शिक्षा के सन्दर्भ से क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों के द्वारा समस्त प्राचार्यों को प्रेषित पत्र के आधार पर : 1.महाविद्यालय का नाम, 2.स्ववित्तपोषित योजना के अन्तर्गत संचालित विषय के नाम, 3.विषयवार अनुमोदित शिक्षक का नाम, 4.विश्वविद्यालय मे शिक्षक के अनुमोदन की तिथि, 5.क्या शिक्षक का पिछले तीन वित्तीय वर्ष का सेलरी स्टेटमेंट टिप्पणी उपलब्ध है ? (हाँ/नहीं में लिखें) एवं 6.अभ्युक्ति के अन्तर्गत सूचना प्रेषित की जानी है। जिससे एक सप्ताह के अन्दर उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें, जिससे समयानुसार आख्या /सूचनाएं शासन को प्रेषित की जा सके।
अनुदानित महाविद्यालय स्ववित्तपोषित अनुमोदित शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश ईकाई के द्वारा उपरोक्त सूचना के सापेक्ष समस्त अनुदानित महाविद्यालयों की स्ववित्तपोषित शिक्षक ईकाइयों से अपील किया गया है कि सभी शिक्षक सम्बंधित महाविद्यालय प्राचार्य से मिलकर कर तत्काल यथेष्ट सूचना प्रेषित करवाने का कष्ट करें, जिससे कि किसी भी प्रकार की भ्रामक व त्रुटिपूर्ण सूचना का प्रेषण न हो सके।
क्यों कि शासन के निर्देश पर पूर्व में निदेशक उच्च शिक्षा द्वारा मांगी गयी सूचना के सापेक्ष महाविद्यालय स्तर से इतनी भ्रामक त्रुटिपूर्ण व तथ्यहीन सूचनाओं का प्रेषण किया गया था कि आज पुनः शासन को सूचना हेतु दुबारा संशोधित प्रत्र के द्वारा सूचना मांगनी पड़ रही है।