देवभूमि उत्तराखंड के बारे में जाने वालों के लिए बड़ी खबर
नंदा अष्टमी पर नंदा माता पहुंचती है मायके, ब्रह्म कमल से किया जाता है स्वागत
देवभूमि उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र के विभिन्न गांवों में नंदा अष्टमी का पर्व पूजा पाठ एवं उच्च हिमालयी बुग्यालों से ब्रह्मकमल पुष्प लेकर देवी को चढ़ाया जाता है। इस अवसर माँ नंदा अपने मायके आती है। मायके पहुंची भगवती नन्दा देवी का मैंतियो द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। रात्रि में माँ नंदा के लोक जागर गीत,एवं नृत्य किया जाता है।
वही उर्गम घाटी में भी वंशीनारायण के समीप मैनवाखाल में मां नन्दा स्वनूल देवी के मिलन के बाद रिखडारा उडियार में रात्रि विश्राम के उपरान्त भगवती नन्दा स्वनूल देवी वंशीनारायण मुल्ला खर्क होते हुए फुलाणा पहुंची, जहां से भगवती नन्दा स्वनूल का मायके दिखाई देता है।
भूमि क्षेत्रपाल घंटाकर्ण के मंदिर में पहुंचकर भगवती नन्दा स्वनूल देवी के प्रसाद ब्रह्म कमल का वितरण किया जाता है।
उर्गम घाटी की लोकजात यात्रा में मैनवाखाल से भगवती का आवाह्न किया जाता है जागरों के माध्यम से और माता नन्दीकुड से यहां पर पहुंचती है फिर जागरों द्वारा मां स्वनूल को सोना शिखर से बुलाया जाता है।
भूमिक्षेत्र पाल घंटाकर्ण के सानिध्य में उर्गम थात एवं कौधूडिया महाराज के सानिध्य में पंचगैं पल्ला जखोला किमाणा कलगोठ द्वींग लांजी पोखनी कलगोठ की जात मैंनवाखाल में होती है । भगवती स्वनूल की जात भर्की भूमियाल के सानिध्य में भनाई बुग्याल में सम्पन्न होती हैं।