शाश्वत ग्रंथ भगवत गीता पर की गई संगोष्ठी गुरु शरणानंद ने संगोष्ठी को किया संबोधित
गीता एक शाश्वत ग्रंथ है जिसकी आवश्यकता प्रत्येक परिस्थिति में प्रासंगिक है। वर्तमान समय में जब व्यक्ति अनेक झंझावातों से उलझ कर शोक सागर में डूब रहा है। गीता इसके समाधान के लिए प्रत्यक्ष उपस्थिति है। ऐसे समय में युवाओं और विद्यार्थियों में गीता स्वाध्याय उन्हें वास्तविक एवं व्यवहारिक ज्ञान से परिचित कराती है। विश्वविद्यालय में गीता और वैदिक शोध पीठ की स्थापना होना सराहनीय है।
उक्त विचार श्रीमद् भगवद्गीता आयोजन समिति एवं छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित "आधुनिक जीवन में श्रीमद् भगवतगीता और वैदिक शोध पीठ की प्रासंगिकता" विषय पर संगोष्ठी में स्वामी गुरु शरणा नंद ने व्यक्त किये।
विश्वविद्यालय के सभागार में हुई संगोष्ठी में कुलपति विनय कुमार पाठक ने कहा कि गीता जीवन को सरल और तनाव मुक्त बनाती है l डॉ. रोचना बिश्नोई ने गणेश वंदना का सुंदर गायन किया । इसके पश्चात गीता प्रचारक अमरनाथ जी ने गीता से संबंधित अनेक गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
डॉ.उमेश पालीवाल ने गीता को जन आंदोलन बनाने के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। अनिल गुप्ता ने श्रीमद् भगवद्गीता एवं वैदिक शोध पीठ पर प्रकाश डाला l
स्वामी गुरु शरणानंद जी के आगमन पर लगभग 50 संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भाग लिया। इस समारोह में मुख्य रूप से प्रो. सुधीर अवस्थी, डॉ वंदना पाठक, डॉ .प्रशांत मिश्रा, कमल त्रिवेदी, हरीश अजमानी, परमानंद शुक्ल, अखिलेश शुक्ला, कृष्ण कुमार शुक्ल, आदि उपस्थित थे ।