स्वामी श्रद्धानन्द का अदम्य साहस,अंग्रेजों के सामने सीना खोलकर बोले चलाओ गोली : ओम प्रकाश आर्य
बस्ती। स्वामी श्रद्धानन्द ने अपने आन्दोलन से अंग्रेजों को बता दिया था कि भारतीयों ने आजादी का संकल्प कर लिया हैं ओर इसके लिए उन्होने शारीरिक बल के साथ साथ चारित्रिक और ज्ञानबल को भी अर्जित किया है जो उन्हें ऐसी आजादी का स्वप्न दिखाता है जिसमें मानव का मानव और मानवेतर प्राणियों से भी अनुकूलता का व्यवहार हो। उनमें अदम्य साहस था, अंग्रेजों के सामने सीना खोलकर बोले चलाओ गोली।
उक्त बातें ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने स्वामी दयानन्द विद्यालय सुर्तीहट्टा बस्ती में आयोजित स्वामी श्रद्धानन्द के बलिदान दिवस के अवसर पर कही। आर्य ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जी के साहस और गौरव का इतिहास वामपंथी चट कर गये। अपना धन अपनी सम्पत्ति यहाँ तक की अपनी संतान को भी को राष्ट्र के लिए दान करने वाले और अपने बच्चों से गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले इस वीर सन्यासी स्वामी श्रद्धानंद जी से देशवासी पूरी तरह परिचित हैं।
इतिहास में ऐसे उदहारण विरले ही कभी पैदा होते है, जब हजारों सालों की गुलामी में लिपटा भारत इस गुलामी को ही अपना भाग्य समझने लगा था, जब भारतीयों की चेतना भी गुलामी की जंजीर में इस तरह जकड दी गयी थी कि लोग आजादी के सूरज की बात करना भी किसी चमत्कार की तरह मानते थे, ऐसे समय में इस भारत में स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की अगुवाई में धर्म और देश बचाने को एक आन्दोलन खड़ा हुआ।
जिसे लोगों ने आर्य समाज के नाम से जाना। इसी आन्दोलन के सिपाही भारत माँ के एक लाल का नाम था स्वामी स्वामी श्रदानंद जिसने स्वामी दयानन्द जी महाराज से प्रेरणा लेकर आजादी की मशाल लेकर चल निकला गुलामी के घनघोर अँधेरे में आजादी का पथ खोजने। तब गाँधी जी ने कहा था की आर्यसमाज हिमालय से टकरा रहा हैं। वो हिमालय था कई हजार साल का पाखंड और हजारों साल की गुलामी। लेकिन चट्टानों से ज्यादा आर्य समाज के होसले कहीं ज्यादा ज्यादा बुलंद निकले।
इस अवसर पर आर्य समाज नई बाजार बस्ती के पदाधिकारी और आर्य वीर दल के बच्चों व विद्यालय परिवार ने वैदिक मंत्रों से श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानाध्यापक गरुण ध्वज पाण्डेय ने बताया कि स्वामी श्रद्धानन्द ने दुनिया को बताया वेद सम्पूर्ण मानवजाति की धर्म पुस्तक है यह विश्व के पुस्तकालय की सबसे प्राचीन पुस्तक है। वेद सार्वदेशिक, सार्वकालिक एवं सबके लिये ग्रहण करने योग्य है। इसमें मजहबी ज्ञान बिल्कुल नहीं हैं बल्कि शाश्वत ज्ञान है।
आर्य समाज ने लोगों को हमेशा वेद मार्ग ही दिखाया है और भविष्य में भी दिखाता रहेगा। इसी क्रम में प्रधानाध्यापक अदित्य नारायण गिरि ने बताया कि स्वामी श्रद्धानन्द भारत के शिक्षाविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, तथा आर्य समाज के प्रखर, प्रबल, अद्वितीय संन्यासी थे। जिन्होंने स्वामी दयानंद की शिक्षाओ का प्रसार किया।
वे भारत के उन महान राष्ट्रभक्त सन्यासियो में अग्रणी थे जिन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा तथा वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना करके भारत ही नही बल्कि सम्पूर्ण विश्व को वैदिक संस्कृति का कायल बना दिया साथ ही गुरूकुल कांगडी फार्मेसी के द्वारा स्वदेशी उत्पादो की श्रृंखला देश विदेशों में फैलाई जिन के पद चिन्हों पर चल कर आज भारत की तमाम कम्पिनयां स्वदेशी के विस्तार में लगी है।
श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से अरविंद श्रीवास्तव, दिनेश मौर्य, नितीश कुमार, अनूप कुमार त्रिपाठी, अनीशा मिश्रा, प्रियंका गुप्ता, कुमकुम, शिवांगी, श्रद्धा, महक मिश्रा आदि ने अपने विचार रखते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
गरुणध्वज पाण्डेय