सिलक्यारा टनल के सभी 41 मजदूरों की सकुशल हुई वापसी, लोगों ने बौख नाग देवता को दिया धन्यवाद
चार धाम आलवेदर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना पर सिलक्यारा पौलगाव बड़कोट सुरंग निर्माण करने के लिए स्थानीय देवता बौखनाग देवता को मनाने के बाद 3 दिन के भीतर सभी श्रमिक सुरक्षित निकलने का बचन मिलने के बाद रेस्क्यू सम्पन्न हुआ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री वी के सिंह सहित तमाम एजंसी से जुड़े लोगों ने फूलमालाओं से सभी श्रमिकों का स्वागत किया ।इस दौरान चारो तरफ बाबा बौखनाग देवता के जयकारे के साथ सभी मजदूर एम्बुलेंस के माध्यम चिन्यालीसौड़ पहुँचाये गये।
मालूम हो कि दीपावली के दिन सुबह तड़के 4.30 बजे सिलक्यारा सुरंग का 40 मीटर हिस्सा टूटने के बाद हादसा हो गया,नाईट शिफ्ट में काम कर रहे 41 मजदूर सुरंग में बंद हो गये।
इसकी जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस,एस डी आर एफ मौके पर पहुची गयी थी स्थिति खराब देख दूसरे दिन NHIDCL सहित देश व विदेश के सुरंग से जुड़े एक्सपर्टों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया,बड़ी बड़ी मशीनों को बुलाया गया ,राज्य व केंद्र सरकार ने सारे यन्त्र लगा दिए गये।
17 दिन बाद सुरंग में फंसे मजदूरो को निकाला जा सका।भले ही इस बीच अड़चन पर अड़चन आई तो आखिरकार कंपनी से जुड़े लोगों को रविवार को स्थानीय इष्टदेव बाबा बौखनाग देवता की शरण में आना पड़ा जिसमें देवता के माली संजय डिमरी ने दैववश अवतरित होकर 3 दिन के भीतर सभी मजदूरो को सुरक्षित निकालने का बचन दिया। जो सच्च साबित हुआ
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सुरंग ढहने का कारण देवता का प्रकोप है। दीपावली के दिन 12 नवंबर की सुबह ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग 94 पर सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग के मुहायने से 205 मीटर के पास 40 मीटर एक हिस्सा टूट गया था।
हादसा होने को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने सुरंग गिरने के पीछे स्थानीय देवता बाबा बौखनाग का प्रकोप बताया था। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का काम किया जा रहा था, इसी के लिए सुरंग बनाई जा रही थी।
सुरंग बनाते समय कंपनी ने बाबा बौखनाग का दोनों तरफ मंदिर बनाने के लिए कहा गया था परंतु कार्यदायी संस्था ने मन्दिर नही बनाया जो छोटा टीन का मंदिर बनाया उसे भी स्थायी नही रखा गया । इस मंदिर को लेकर स्थानीय नागरिकों की आस्था को ठेस पहुंची थी।
ग्रामीणों का मानना है कि जब तक देवता को शांत नहीं किया जाता, बचाव अभियान सफल नहीं हो सकेंगे। इस बात को समझ कर बचाव अभियान में संस्था के लोगो ने रविवार को प्राचीन मूल थान मन्दिर भाटिया गाँव में आकर बाबा बौखनाग का आशीर्वाद लिया ताकि सुरंग में फंसे मजदूरों की जान बचाई जा सके।
वास्तविकता ये है कि प्रशासन से अधिक स्थानीय लोगों को फंसे हुए मजदूरों की चिंता है। यहाँ अस्थायी मंदिर मजदूरों के प्राण बचाने के लिए जरूर बनाया गया है।
विगत 17 दिन से सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन देर शाम तक जारी रहा और सभी मजदूर सुरक्षित बाहर आ गए।
दरसअल उत्तराखंड देव भूमि है जहां कण कण में ईश्वर का वास है। अब ऐसे में स्थानीय इष्टदेव बाबा बौखनाग देवता की अनदेखी की जानी सुरंग से जुड़ी कार्यदायी संस्था के लिए भारी पड़ा।
सुरंग के दोनों ओर बाबा बौखनाग का भव्य मंदिर के निर्माण का बचन देने के बाद रेस्क्यू कार्य मे जुड़ी एजंसियों को कोई अड़चने नही आई और 41 जिंदगियो के लिए किया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन सफलता पूर्वक सम्पन्न हो गया।