देश के विभाजन के बाद से बंद मां वैष्णो का पारंपरिक मार्ग खोलने की तैयारी
• जम्मू के नगरोटा में कोल कंडोली मंदिर से जगटी टाउनशिप रोड, फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट पंगाली से बम्याल ओली मंदिर होते हुए कटड़ा के नौमाई में देवा माई के मंदिर तक।
जम्मू। देश-विदेश से मां वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं में से बहुत कम को ही पता होगा कि इस पवित्र यात्रा का एक प्राचीन मार्ग भी हैं, जो देश के विभाजन के बाद से बंद पड़ा है। प्रकृति के खूबसूरत नजारों वाला यह पारंपरिक मार्ग इसी वर्ष दिसंबर के अंत तक श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएगा।
यहाँ सड़क निर्माण को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जम्मू से 23 किलोमीटर दूर नगरोटा में स्थित कोल कंडोली मंदिर से देवा माई कटड़ा तक जाने वाला यह मार्ग महज 25 किलोमीटर लंबा है। देवा माई से आगे श्रद्धालु कटड़ा से होकर भवन की ओर जा सकते हैं।
इस मार्ग पर देश के विभाजन से पहले बने कई प्राचीन मंदिर हैं। मान्यता है कि इसी मार्ग से मां वैष्णो त्रिकुटा पर्वत पहुंची थीं। अभी भी अखनूर, जम्मू और उसके साथ लगते क्षेत्रों के लोग जो इस मार्ग से परिचित हैं, यहाँ से मां वैष्णो के दर्शन के लिए कटड़ा जाते हैं।
इस मार्ग पर मां वैष्णो देवी मंदिर पंगोली, ठंडा पानी, शिव शक्ति मंदिर मढ़- प्राथी, राजा मंडलीक मंदिर, काली माता मंदिर गुडला, प्राचीन शिव मंदिर बम्याल, देवा माई आदि हैं। मार्ग के दोनों और खूबसूरत चीड़ के जंगल और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर नजारे यात्रा को सुखद अहसास से भर देते हैं।
लाहौर और कराची से भी आते थे श्रद्धालु
विभाजन से पहले चैत्र नवरात्र में हर वर्ष इसी मार्ग से वैष्णो देवी की यात्रा शुरू होती थी। उस समय दुर्गम मार्ग होने से इसे सिर्फ 40 दिन ही श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता था। तब बड़ी संख्या में श्रद्धालु पाकिस्तान के सियालकोट, लाहौर और कराची से भी आते थे।
उस समय यह मार्ग वीरान था और पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में कुछ धर्मप्रेमी लोगों ने इस पारंपरिक मार्ग पर आकर्षक मंदिर, सराय, कुआँ आदि का निर्माण करवाया, ताकि पैदल व घोड़ों पर आने वाले श्रद्धालु थकान दूर करने के साथ मीठा जल पीकर प्यास बुझा सके।